Thursday, May 19, 2016

रामनामी समाज (Ramnami Samaj) – यहाँ पुरे शरीर पर लोग लिखवाते है राम नाम, आखिर क्यों?


Ramnami Samaj History : 100 सालों से भी ज्यादा लंबे वक्त से छत्तीसगढ़ की रामनामी समाज में एक अनोखी परंपरा चली आ रही है। इस समाज के लोग पूरे शरीर पर राम नाम का टैटू बनवाते हैं, लेकिन न मंदिर जाते हैं और न ही मूर्ति पूजा करते हैं। इस तरह के टैटू को लोकल लैंग्वेज में गोदना कहा जाता है। दरअसल, इसे भगवान की भक्ति के साथ ही सामाजिक बगावत के तौर पर भी देखा जाता है। टैटू बनवाने के पीछे बगावत की कहानी…
Ramnami Samaj Story in Hindi
– कहा जाता है कि 100 साल पहले गांव में हिन्दुओं के ऊंची जाति के लोगों ने इस समाज को मंदिर में घुसने से मना कर दिया था। इसके बाद से ही इन्होंने विरोध करने के लिए चेहरे सहित पूरे शरीर में राम नाम का टैटू बनवाना शुरू कर दिया।
क्या कहते हैं लोग…
-रामनामी समाज को रमरमिहा के नाम से भी जाना जाता है।
-जमगाहन गांव के महेतर राम टंडन इस परंपरा को पिछले 50 सालों से निभा रहे हैं।
-जमगाहन छत्तीसगढ़ के सबसे गरीब और पिछड़े इलाकों में से है।
-76 साल के रामनामी टंडन बताते हैं, जिस दिन मैंने ये टैटू बनवाया, उस दिन मेरा नया जन्म हो गया।
-50 साल बाद उनके शरीर पर बने टैटू कुछ धुंधले से हो चुके हैं, लेकिन उनके इस विश्वास में कोई कमी नहीं आई है।
– नजदीकी गांव गोरबा में भी 75 साल की पुनई बाई इसी परंपरा को निभा रहीं हैं।
– पुनई बाई के शरीर पर बने टैटू को वह भगवान का किसी खास जाति का ना होकर सभी के होने की बात से जोड़ती हैं।
Ramnami Samaj History
टैटू बनवाने के साथ ही राम नाम लिखे कपड़े भी पहनते हैं रामनामी।
नई पीढ़ी ने खुद को इस परंपरा से दूर किया
-रामनामी जाति के लोगों की आबादी तकरीबन एक लाख है और छत्तीसगढ़ के चार जिलों में इनकी संख्या ज्यादा है। सभी में टैटू बनवाना एक आम बात है।
– समय के साथ टैटू को बनवाने का चलन कुछ कम हुआ है।
– रामनामी जाति की नई पीढ़ी के लोगों को पढ़ाई और काम के सिलसिले में दूसरे शहरों में जाना पड़ता है।
– इसलिए ये नई पीढ़ी पूरे शरीर पर टैटू बनवाना पसंद नहीं करती।
– इस बारे में टंडन बताते हैं, आज की पीढ़ी इस तरह से टैटू नहीं बनवाती। ऐसा नहीं है कि उन्हें इस पर विश्वास नहीं है।
– पूरे शरीर में न सही, वह किसी भी हिस्से में राम-राम लिखवाकर अपनी संस्कृति को आगे बढ़ा रहे हैं।
Ramnami Samaj
समाज के कुछ नियम
-इस समाज में पैदा हुए लोगों को शरीर के कुछ हिस्सों में टैटू बनवाना जरूरी है।
-खासतौर पर छाती पर और दो साल का होने से पहले।
-टैटू बनवाने वाले लोगों को शराब पीने की मनाही के साथ ही रोजाना राम नाम बोलना भी जरूरी है।
-ज्यादातर रामनामी लोगों के घरों की दीवारों पर राम-राम लिखा होता है।
-इस समाज के लोगों में राम-राम लिखे कपड़े पहनने का भी चलन है, और ये लोग आपस में एक-दूसरे को राम-राम के नाम से ही पुकारते हैं।
Ramnami Samaj Wiki
समाज की दिलचस्प बातें
-नखशिख राम-राम लिखवाने वाले सारसकेला के 70 वर्षीय रामभगत ने बताया कि रामनामियों की पहचान राम-राम का गुदना गुदवाने के तरीके के मुताबिक की जाती है।
-शरीर के किसी भी हिस्से में राम-राम लिखवाने वाले रामनामी। माथे पर राम नाम लिखवाने वाले को शिरोमणि। और पूरे माथे पर राम नाम लिखवाने वाले को सर्वांग रामनामी और पूरे शरीर पर राम नाम लिखवाने वाले को नखशिख रामनामी कहा जाता है।
Ramnami Samaj Ka Itihas
ज्यादातर रामनामी लोगों के घरों की दीवारों पर राम-राम लिखा होता है।
-रामनामी समाज ने कानूनन रजिस्ट्रेशन कराया है और ड्रेमोक्रेटिक तरीके से उनके चुनाव हर 5 साल के लिए कराए जाते हैं।
-आज कानून में बदलाव के जरिये समाज में ऊंच-नीच को तकरीबन मिटा दिया गया है और इन सबके बीच रामनामी लोगों ने बराबरी पाने की उम्मीद नहीं खोई है।

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